अभिव्यक्ति
- 17 Posts
- 35 Comments
पहले ही सचेत कर दूं, नाम पर ना जाना। गये तो बस गये. नेता तो हूं नहीं, जो सड़क पर, चौराहे पर, मंच पर भाषण दूं। हम ठहरे कीबोर्ड नवीस सो इससे ही मन की भावना आप तक पहुंचायेंगे। होली है तो होने दें। सालों साल से आ रही है। रंग बदल-बदल कर। इस बार आई है तो दीदी की रेल के लटके पर दादा ने झटके के साथ होली के पहले ही दीवाला निकालने की तैयारी कर दी। अब कबीरा और फगुवा गाने वालों से अनुरोध है कि खास ग्रामीण अंदाज में सररररररररर, कबीरा की तर्ज में या फिर खास बनारसी अंदाज में, और तो और अस्सी के अंदाज में दादा की खैर खबर लें। खबर की तर्ज पर ब्लाग, ब्लाग की तर्ज पर खबर चलेगा न।
Read Comments